इन आसान बातों से पद्मावती के बारे में जानें

In aasan bato se padmavati ke bare me jane
इन आसान बातों से पद्मावती के बारे में जानें

पद्मावती को रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता था। पद्मावती चितौड़गढ़ की रानी और राजा रतनसिंह की पत्नी थीं। रानी पद्मावती उस समय बेहद खूबसूरत मानी जाती थी। उस समय दिल्ली में अलाउद्दीन खिलजी का शासन था और वो पद्मावती की खूबसूरती की चर्चा सुनकर उन्हें पाना चाहता था। रानी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अन्य दूसरी राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर लिया। आइए इस लेख में हम आपको पद्मावती के बारे में और अच्छे से बताते हैं –

जौहर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिनमें राजघराने की महिलाएं अपने दुश्मन के साथ न रहने का प्रण लेकर अग्निकुंड में कूद जाती हैं। आज भी चित्तौढ़ को महिलाओं के जौहर करने की बात को लेकर गर्व से याद किया जाता है। जिन्होंने दुश्मनों को करारा जवाब दिया और उनके हाथ न आकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। 13वीं-14वीं सदी की महान भारतीय रानी पद्मिनी के बलिदान और साहस की गाथा आज भी अमर है और आगे भी अमर रहेगी।

पद्मावती का जन्म सिंहल देश में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा गंधर्वसेन व माता का नाम चंपावती था। रानी पद्मावती का विवाह रावल रतनसिंह के साथ हुआ था। महारानी बनकर जब पद्मिनी चित्तौड़गढ़ पहुंची तो उनकी खूबसूरती के चर्चे न सिर्फ चित्तौड़गढ़ में थे बल्कि पूरे देश में फैलने लगे। इस दौरान राघव चेतन नामक राज चारण को पद्मावती के साथ दुर्व्यवाहर की वजह से देश से निकाल दिया था। राघव ने बदला लेने के लिए दिल्ली जाकर महारानी पद्मावती की सुंदरता का बखान अल्लाउद्दीन के सामने कर दिया।

पद्मावती की सुंदरता के बारे में सुनकर अल्लाउद्दीन पगल हो उठा और उन्हें पाने के लिए चितौड़गढ़ पर चढ़ाई करने की घोषणा कर दी। खिलजी के बारे में सुनकर रावल रतनसिंह ने चित्तौड़गढ़ फोर्ट में राजपूतों की सेना को तैनात कर दिया। खिलजी ने जब तक पद्मावती का चेहरा नहीं देखा तब तक उसने उनके किले के आसपास अपनी सेना को तैनात करके रखा, लेकिन काफी समय तक कोई समाधान नहीं निकला।

खिलजी ने एक दांव खेला और उसने रतन सिंह के सामने पद्मावती का दीदार करने के बाद घेरा हटाने की बात कही। यह सुनकर रतनसिंह को बेहद गुस्सा आया लेकिन खून खराबा रोकने के लिए पद्मावती ने राजा को तैयार कर लिया। चित्तौड़गढ़ फोर्ट में महारानी के महल में लगे एक शीशे को ऐसे लगाया गया कि उसमें पद्मावती की जगह खिलजी को सिर्फ उनकी तस्वीर ही नजर आई।

शीशे में तस्वीर के रूप में देखते ही खिलजी की नियत बदल गई और उसने रतनसिंह जो खिलजी को बाहर तक छोड़ने के लिए आ रहे है थे उन्हें बंधक बना लिया। खिलजी ने उनके सामने प्रस्ताव रखा, अगर आप हमे पद्मावती सौपेंगे तभी हम आपको छोड़ेंगे।

इसके लिए पद्मावती तैयार हुई और अपनी दासियों के साथ खिलजी से मिलने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन दासियों के स्थान पर पालकियों में उनके लड़ाके मौजूद थे। जैसे ही लड़कों ने हमला बोलै वैसे ही पद्मावती रतनसिंह को आजाद करवाकर अपने किले में लौट आई। खिलजी को ये बिलकुल गवारा न था और उन्होंने किले पर आक्रमण कर दिया। 

तभी पद्मावती ने पद्मावती ने सोलह हजार राजपूत महिलाओं के साथ जौहर करने का निर्णय लिया। गोमुख के उत्तर में स्थित एक मैदान को जौहर के लिए तैयार करवाया गया और कुलदेवी की पूजा के बाद महारानी पद्मावती के साथ सोलह हजार महिलाओं ने खुद को अग्नि के हवाले कर दिया।

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