पारंपरिक लेज़र लिपोसक्शन ( Laser Liposuction Surgery) से हटकर लेज़र लिपोसक्शन एक आधुनिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत शरीर की अतिरिक्त फैट या चर्बी को बिना चीर-फाड़ के एक विशेष प्रकार की ऊष्मा (लेज़र) द्वारा हटाया (Remove Fat ) जाता है।
किसी को भी फिट रहने के लिए खान-पान और व्यायाम पर ही निर्भर रहना चाहिए लेकिन जब यह तरीके फेल हो जाएं तो आप लेज़र लिपोसक्शन का रूख कर सकते हैं। लेज़र लिपोसक्शन में लेज़र प्रकाश की तरंगें (Waves) निकलती हैं जो कि कोलाजेन को बनाने वाली कोशिकाओं को स्टिम्युलेट करके त्वचा को टाइट बनाती हैं, साथ ही वसा के सेल्स को तोड़ देती हैं।
लेज़र त्वचा के सतही परत पर कार्य करती है इसलिए इससे ऊपरी त्वचा या बाहरी त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि ऊपरी त्वचा पर सीधी तौर पर कोई प्रकाश नही पड़ता है।
आप लगातार डाइटिंग और व्यायाम का सहारा ले रहे हैं लेकिन फिर भी चर्बी कम नहीं हो रही है तो लेज़र लिपोसक्शन को करवाया जा सकता है।
तो ना कराएं - Circumstances when Laser Liposuction should be avoided
यदि आपकी त्वचा में अच्छी इलास्टिसिटी नही है और यदि आपकी त्वचा में अतिरिक्त लटकी हुई चर्बी (एक्ससेस स्किन) है तो आप के लिए बॉडी लिफ्ट बेहतर आप्शन है।
लेज़र लिपोसक्शन में सूक्ष्म लेज़र प्रकाश को वसा कोशिकाओं को तोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। कुछ विशेषज्ञों की मानें तो इसके तहत ढीली त्वचा में कसाव भी संभव है। लेज़र लिपोसक्शन के बाद हल्की सूजन आना संभव है जो कि प्राकर्तिक लिपोसक्शन में भी आती है लेकिन यहां त्वचा के बर्न होने का खतरा भी रहता है हालाँकि ऐसा बहुत कम ही होता है।
सभी प्रक्रियाओं में कुछ न कुछ रिस्क रहते ही हैं जैसे कि सर्जिकल प्रक्रिया में इन्फेक्शन, रक्तस्त्राव, नर्व इंजुरी, एनीथीसिया से रिएक्शन और ब्लड क्लॉट का डर रहता है उसी तरह लेज़र प्रक्रिया में इन सबके चांसेस अपेक्षाकृत कम होते हैं। इसके साथ ही स्किन डिस्कोलोरशन और त्वचा के जलने का खतरा भी रहता है।
पारंपरिक लिपोसक्शन की तुलना में जल्दी रिकवरी होती है।
रक्त बहने और इन्फेक्शन का खतरा कम होता है।
त्वचा को बिना चीड़ फाड़ के समस्या का हल संभव है।
नर्व इंजुरी का डर नहीं रहता।
वसा को पिघलाकर त्वचा को टाइट भी करता है।
इस सर्जरी को करने के दो तकनीकें हैं। पहली तकनीक के 3 स्टेप हैं-
तकनीक - 1
स्टेप 1- लेज़र को वसा के कणों को तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिससे गहरी परत में छिपी वसा को भी पिघलती है। इसमें ब्लड वेसल भी होते हैं जो कि सर्जिकल तकनीक में संभव नही है।
स्टेप 2- इसके बाद लेज़र को आंतरिक त्वचा के सेल्स को केवल हीट करने के लिए लगाया जाता है जिससे और ज्यादा कोलाजेन और इलास्टिसिटी बढ़े जिससे त्वचा ट्रीटमेंट के बाद और बेहतर दिखें।
स्टेप 3- आखिरी स्टेप में अतिरिक्त सेल और वसा को इकठा करके स्किन से दूर किया जाता है।
तकनीक - 2
इस तकनीक में तकनीक 1 के पहले 2 स्टेप का इस्तेमाल होता है लेकिन एकत्र किये गए सेल और वसा को शरीर के बाकी हिस्से में अवशोषित कर दिया जाता है।
पेट
जांघ
घुटनों
गर्दन
चेहरा
मेल ब्रैस्ट एक्ससेस