महिलाओं को स्वभाव से इमोशनल कहा जाता है और यही स्वभाव उनके दिमाग का भी होता है। दिमागी बीमारी महिलाओं और पुरुषों को अलग अलग प्रभावित करती हैं। कुछ विकार यानि डिसऑर्डर महिलाओं में ज्यादा कॉमन हैं और ज्यादातर महिलाओं में ही देखने को मिलते हैं। इसके लिए कुछ बायोलॉजिकल तो कुछ सोशल फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) की रिपोर्ट के अनुसार तो 60 फीसदी लोग किसी न किसी फोबिया (Phobia) और ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) से ग्रस्त हैं। वहीं, हर तीसरी महिला डिप्रेशन या किसी न किसी मानसिक विकार से घिरी है। वर्ष 2020 तक डिप्रेशन सबसे बड़ी बीमारी के तौर पर उभरेगी। आइये आपको बताते हैं महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में-
1- एंजाईटी डिसऑर्डर - Anxiety Disorder
परीक्षा से पहले, इंटरव्यू से पहले, स्टेज पर सबके सामने बोलने आदि कुछ ऐसे अवसर होते हैं जिनमेँ घबराहट होना लाज़मी है। लेकिन कुछ महिलाएं इतनी ज्यादा नर्वस हो जाती हैँ कि यह डर एंजाईटी में बदल जाता है और धीरे-धीरे यह एंजाईटी डिसऑर्डर बन जाता है जिसका उपचार करना आवश्यक हो जाता है।
एंजाईटी डिसऑर्डर में ओबेसिव कंपुल्सिव डिसऑर्डर, पॉल्ट्रॉमतिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, सोशल फोबिया और जेनरलाइज्ड एंजाईटी डिसऑर्डर शामिल हैं।
2- अटेंशन डेफिसिट हैपेरेक्टिविटी डिसऑर्डर - Attention Deficit Hyperactivity Disorder
यह काफी आम और बचपन में होने वाला मानसिक विकार है जो कि़ बड़े होने तक रह सकता है, और गंभीर परेशानी बन सकता है। इस विकार से परेशान लोग किसी एक जगह ध्यान केंद्रित नहीं रख पाते। कही से भी बहुत जल्दी ध्यान भटक जाता है या एक साथ कई चीज़े दिमाग में चलती रहती है।
जाहिर है मन स्थिर नही रहता और दिमाग लगातार कुछ न कुछ सोचने में लगा रहता है। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमेँ जीन, वातावरण कारक (जैसे प्रेगनेंसी में धूम्रपान और ड्रिंकिंग), मस्तिष्क पर चोट, आदि।
3- बाईपोलर डिसऑर्डर - Bipolar Disorder
इसे मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) भी कहते हैं। इससे ग्रस्त महिलाओं में अचानक मूड शिफ्ट, एनर्जी लेवल कम या ज्यादा, एक्टिव लेवल एकदम से कम ज्यादा आदि होता रहता है। इसके कारण रिश्तों में उतार-चढ़ाव, स्कूल या ऑफिस में खराब प्रदर्शन संभव है।
कुछ महिलाएं आत्महत्या तक कर सकती हैं। यह जीन्स, ब्रेन स्ट्रक्कर आदि के कारण होता है। यह ज्यादातर लेट टीन या अर्ली एडल्ट यानी 25 की उम्र से पहले होता है।
4- बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder)
यह सीरियस डिसऑर्डर है और ज्यादातर उन महिलाओं को होता है जो अपनी बात नहीं कह पातीं। अपनी भावनाओं को व्यक्त ना कर पाने और मन में बातों को दबाये रखने की प्रवृत्ति और किसी से स्टेबल रिलेशन ना होना भी इस डिसऑर्डर के होने के लिए जिम्मेदार हैं।
5- डिप्रेशन - Depression
हर कोई कभी ना कभी दुखी होता है लेकिन यह दु:ख थोड़े समय के लिए होता है। जब यह दु:ख लम्बे समय के लिए रह जाए तो डिप्रेशन बन जाता है, यानी कि अवसाद बन जाता है। डिप्रेशन कई तरह का होता है-
मेजर डिप्रेशन
परसिस्टेंट डिप्रेशन डिसऑर्डर
बाईपोलर डिप्रेशन
पोस्टपार्टम डिप्रेशन
सीजनल ओफ्फेक्टिव डिसॉर्डर
6- एनोरेक्सिया नर्वोसा - Anorexia Nervosa
मॉडल की तरह दिखने की चाह या एकदम फिट होने के बाद भी मोटा होने का भ्रम होना एनोरेक्सिया नर्वोसा है। इसमें महिलाएं खाना छोड़ देती हैं जिसका शरीर और दिमाग दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
7- बुलिमिया नर्वोसा - Bulimia Nervosa
एनोरेक्सिया से उलट इस डिसऑर्डर में महिलाएं ज्यादा खाना खाने लगती हैं।
8- स्किज़ोफ्रेनिया - Schizophrenia
इस मानसिक विकार से ग्रसित महिलाएं हर चीज़ को शक की निगाह से देखती हैं। उन्हें तरह तरह की आवाज़ें सुनाई देती हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित महिलाएं घंटों एक ही जगह बिना थके और बिना बोले बैठी रह सकती हैं। कभी कभी एकदम सामान्य दिखने वाली और सामान्य व्यवहार वाली महिलाएं अचानक से हार्मफुल हो सकती हैं।
परिवार के लोग रखें ध्यान - Role of Family Members in Disorder
महिलाएं परिवार का ध्यान रखती हैं, किसे क्या पसंद है क्या नहीं? किसे क्या अच्छा लगता है क्या नहीं... ऐसे में परिवार के सदस्यों को भी उनका ध्यान रखना चाहिए।
फैमिली मेंबर्स को घर की महिला को समय समय पर सराहना करनी चाहिए।
महिला सदस्य के साथ घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए।
ऑफिस में आपका दिन कैसा गया यह पूछना केवल महिला की ही जिम्मेदारी नहीं, ऑफिस या घर में महिला का पूरा दिन कैसा गया, यह पूछना आपकी भी जिम्मेदारी है। मेन्टल सपोर्ट दें।
ऑफिस के लोग रखें ध्यान - Role of Colleagues in Disorder
एक महिला पर घर और दफ्तर दोनों की जिम्मेदारी है जिसे वह बखूबी निभाती भी है लेकिन जिम्मेदारी डबल है तो स्ट्रेस भी डबल होगा। इसलिए ऑफिस के लोगों को यह ध्यान रखते हुए ऑफिस की फीमेल कॉलीग को सपोर्ट करना चाहिए। जबरदस्ती का मेन्टल प्रेशर और अभद्र व्यवहार या भाषा का इस्तेमाल ना करें।
महिलाएं रखें ध्यान - Self Importance in Disorder
बोलना सीखे, एक्सप्रेसिव बनें
ऑफिस हो या घर तनाव ना लें। काम को खुश होकर निपटाएं
जहां तक संभव हो अकेली ना रहे। दोस्तों या अपने करीबी लोगों के टच में रहें।
हमेशा खुश रहें और खान पान का ध्यान रखें।
घर या ऑफिस के प्रोग्राम और फंक्शन में खुलकर हिस्सा लें।
मेडिटेशन करें
कोई परेशानी हो तो छिपाएं नहीं खुलकर परिवार को बताएं और चिकित्सक से परामर्श लें। छिपाने से परेशानी बढ़ेगी।