क्या आप भी बेबी प्लानिंग कर रहीं हैं? क्या आप प्रेग्नेंसी का समय कब सही हो सकता है? या ऐसी ही कई बातों में उलझीं हुई हैं, तो परेशान न हों। इस आर्टिकल को पढ़ें और फिर बेबी प्लान करें। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कपल को कि किसी दवाब में आकर गर्भधारण न करें। किसी भी कपल को इस बारे में खुद सोचना और समझना चाहिए और फिर बेबी प्लान करना चाहिए। क्योंकि प्रेग्नेंसी को एन्जॉय करना बेहद जरूरी है। अगर आप भी गर्भधारण का समय प्लान कर रहीं हैं, तो एक नहीं बल्कि कई बातों को ध्यान रखना बेहद आवश्यक है।
आप में से कई लोग यह जरूर सोच रहीं होंगी की कंसीव तो कभी भी कर सकते हैं। यह सच है और इस बात को झुठलाया भी नहीं जा सकता है लेकिन, कुछ रिसर्च के अनुसार अलग-अलग महीने में जन्मे बच्चों की अलग-अलग खासियत होती है।
गर्म मौसम में जन्में बच्चे काफी खुश रहते हैं। इन बच्चों को एलर्जी की समस्या कम हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार समर बेबीज के हेल्दी और खुश रहने के पीछे सूर्य के किरणों की भूमिका होती है, क्योंकि बच्चों में विटामिन-डी की कमी नहीं हो सकती है।
कुछ लोगों का मानना है की वसंत के मौसम में जन्में बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं। हैलो स्वास्थ्य की टीम ने जब कुछ कपल्स से बात की और उनसे उनके बच्चों के बारे में जानना चाहा की उनके बच्चों में क्या खासियत है? मुंबई की रहने वाली 36 रीना शर्मा की बेटी 8 साल की है। रीना कहती हैं कि “उनकी बेटी किसी भी काम को जल्दी सीख लेती है।” वहीं रमेश ठाकुर कहते हैं कि “उनके बेटे की उम्र 13 वर्ष है और उसमें सीखने की चाह होने के साथ-साथ वह बड़ी जल्दी चीजों को सीखते हैं। वह DIY करने में भी बड़े माहिर हैं।” कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार स्प्रिंग बेबीज को सांस संबंधी परेशानी जैसे अस्थमा या एलर्जी की समस्या हो सकती है। हालांकि इसपर रिसर्च सेंटर्स संदेह जताते हैं।
देखा जाए तो हर बच्चे में कुछ न कुछ खासियत होती है और ऑटम बेबीज शारीरिक तौर से एक्टिव रहते हैं लेकिन, साल 2016 में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार शरद ऋतू में जन्में बच्चों में एग्जिमा और विटामिन-डी की कमी ज्यादा होती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दियों के मौसम में जन्में बच्चे खेल की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। ये बच्चे स्पोर्ट्स एक्टिविटी में कभी पीछे नहीं हटते हैं। विंटर बेबीज का स्वभाव गुस्सैल भी हो सकता है।
गर्भधारण का समय प्लान कर रहें हैं तो सबसे पहले गर्भधारण करने वाली महिला का फिट होना आवश्यक है। अगर गर्भधारण करने वाली महिला सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) से पीड़ित हैं, तो ऐसे में महिला को अपनी इस परेशानी को दूर करना चाहिए। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर होने की वजह से विंटर सीजन यानी ठंड के मौसम में गर्भधारण की वजह से कंसीव करने वाली महिला को ठंड के मौसम और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव की वजह से शारीरिक परेशानी हो सकती है। जिसका नकारात्मक प्रभाव महिला के इमोशनल हेल्थ पर भी पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी का समय (कंसीव करने का समय) स्प्रिंग बेहतर माना जाता है, क्योंकि मार्च और अप्रैल महीने के बाद फ्लू और सर्दी-जुकाम का खतरा कम रहता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ इंडियाना, यूएसए के द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार दिसंबर को गर्भधारण का समय सबसे बेहतर होता है। यह समय इसलिए सबसे बेस्ट माना गया है क्योंकि मौसम बहुत अच्छा होता है। इस समय में कपल भी एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिता पाते हैं। इस दौरान स्पर्म की क्वॉलिटी भी अच्छी होती है।
गर्भधारण का समय प्लान करने से पहले पारिवारिक स्थिति को भी समझना बेहद जरूरी होता है। दरअसल गर्भावस्था के शुरुआत से ही गर्भवती महिला में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहारे (emotional support) की बेहद जरूरत होती है, क्योंकि शुरुआत के तीन महीने किसी भी गर्भवती महिला के लिए थोड़ा कठिन होता है। ऐसे में फैमली सपोर्ट आवश्यक हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान हर महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर अलग-अलग अनुभव कर सकती हैं। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय से लेकर बेबी डिलिवरी के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ और खुशनुमा माहौल में रहती हैं, तो वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं जो प्रेग्नेंसी के दौरान कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करती हैं। कुछ गर्भवती महिलाएं शिशु के जन्म के बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्या का भी अनुभव कर सकती हैं। इनसभी पहलु को समझना जितना गर्भधारण करने वाली महिला को समझना जरूरी है, उतना ही उनके लाइफ पार्टनर को।
प्रेग्नेंसी का समय प्लान करने से पहले महिला को अपने वर्किंग स्टाइल को समझना बेहद जरूरी है। आजकल के बदलते वक्त की वजह से महिलाएं बेबी प्लानिंग भी देर से करने लगीं हैं। अब वो समय भी नहीं रहा जब लड़कियों की शादी 20 साल की उम्र में हो जाती थी और 21 या 22 साल की उम्र में मां भी बन जाती थीं। आजकल ज्यादातर गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के 7वें महीने या इसके बाद भी ऑफिस जाती रहती हैं। अगर प्रेग्नेंसी में कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है तो वर्किंग रहने में कोई परेशानी नहीं है। बेबी डिलिवरी के बाद महिलाएं मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी का समय प्लान करने से पहले ऑफिस से मिलने वाले मैटरनिटी लीव को बेहतर तरीके से समझें।
प्रेग्नेंसी का समय तय करने के लिए मौसम, फैमली और कामकाज के साथ ही अपने डायट पर भी ध्यान दें। कपल को फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। कपल को स्मोकिंग और एल्कोहॉल से भी दूरी बनानी चाहिए।
अगर आप गर्भधारण का समय तय करने की सोच रहीं तो इससे जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानने के लिए विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
Original post - गर्भधारण का समय कैसे करें तय?